कस्बा बाबरपुर में विशाल श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन स्रोताओ का उमड़ा हुजूम
टेन न्यूज।। 28 सितंबर 2025 ।। ब्यूरो चीफ रामजी पोरवाल, औरैया
जनपद के कस्बा बाबरपुर में फफूंद रोड पर स्थित संतोषी माता मन्दिर पर भव्य एवं विशाल श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया है, जिसमें वृंदावन से पधारे कथा व्यास कृष्णकांत जी महाराज ने भक्त ध्रुव, भरत चरित्र कथा का वर्णन करते हुए बताया कि महाराज उत्तानपाद की दो रानियां थी, सुरुचि और सुनीति।
सुनीति के पुत्र ध्रुव को महाराज उत्तानपाद अपनी गोद में खिला रहे थे। सुरुचि ने वहां आकर ध्रुव को उनकी गोद से उतार दिया।
ध्रुव ने विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए बाल्यावस्था में ही तप करना शुरू कर दिया बालक की तपस्या से भगवान प्रसन्न होकर पहुंचे और उन्हें अमरत्व प्रदान किया। हम उन्हें ध्रुव तारा के रूप में जानते हैं। वही व्यास जी ने भरत चरित्र का वर्णन किया। भरत और श्री राम का मिलाप व संवाद सुनकर भक्त भाव विभोर हुए।
कथा में उन्होंने कहा कि भरत जी को जब पता चला कि मेरी माता ने राम जी को वन भेज दिया है तो उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। भरत जी ने चित्रकूट जाने के लिए सबको तैयार किया और चित्रकूट में जाकर राम जी से मिले। भरत जी को देखकर राम जी के धनुष बाण गिर पड़े ।
भरत जी ने वापस लौटने की प्रार्थना की , पर राम जी ने कहा यदि मैं अयोध्या लौट चलूंगा तो शबरी माता को दर्शन कैसे दे पाउंगा। भगवान ने अपनी चरण पादुका देकर भरत जी को अयोध्या लौटाया। भरत के समान भाई कोई दूसरा नहीं हो सकता। कहा कि भरत चरित्र को नियम से सुनने से राम जी के चरणों में प्रेम उत्पन्न हो जाता है।
भरत चरित्र की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि आजकल एक इंच ज़मीन के लिए कोर्ट तक लड़ाई होती है , पर राम जी ने भरत जी के लिए अपने अधिकार का राज्य छोड़ दिया और भरत जी ने भी उस राज्य को अपने बड़े भाई को वापस लौटा दिया।
समाज में तीन राम और तीन भरत हुए । पहले राम थे परशुराम , दूसरे राम हुए दशरथ पुत्र राम और तीसरे बलराम । इसी प्रकार तीन भरत हुए पहले जड़भरत, दूसरे शकुन्तला पुत्र भरत और तीसरे दशरथ पुत्र भरत। कथा व्यास ने कहा कि दूसरों के सुख से सुखी होना और दूसरों के दुख से दुखी होना ही संत होने के लक्षण है।