मुमुक्षु आश्रम में श्री राम कथा का भव्य शुभारंभ, श्री राम की कृपा प्राप्त करने के लिए विभीषण के प्रसंग को सुनाया
टेन न्यूज़ !! २६ फरवरी २०२४ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर
एस एस कॉलेज के कथा प्रांगण में श्री राम कथा का शुभारंभ हुआ।कथा व्यास विजय कौशल महाराज ने श्री राम जय राम जय जय राम आरती से कथा प्रारम्भ की। उन्होंने कहा कि हमको श्री राम कथा को हर क्षण सुनते रहना चाहिए। हमें पूर्ण ध्यान, चिंतन व मनन करना चाहिए और साथ ही श्री राम के चरित्र का अनुकरण भी करना चाहिए। उन्होंने श्री राम की कृपा प्राप्त करने के लिए विभीषण के प्रसंग को सुनाया। जब श्रीराम के पास विभीषण आए तो श्रीराम ने उनसे पूछा कि तुम रावण के भाई होते हुए भी हमारी भक्ति कैसे करने लगे। विभीषण ने कहा कि प्रभु मैंने हनुमान जी के मुख से आपकी कथा सुनी थी और तब लगा था कि जिसकी कथा इतनी सुंदर होगी वह वास्तव में कितना सुंदर होगा।
इसी कारण मैं आपकी भक्ति में लीन हो सका और आपके दर्शन कर सका। कथा व्यास ने “नाम तुम्हारा तारण हारा जाने कब दर्शन होगा, जिसकी महिमा इतनी सुंदर वह कितना सुंदर होगा” भजन सुनाकर हजारों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि मन में जब लालसा पैदा हो जाती है तब आपकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए कोई न कोई सज्जन पुरुष अवश्य मिल जाएगा। उसके उपरांत आपको भगवान श्री राम की कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त होगा और आप श्री राम जी के चरणों में लीन हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि श्री राम की कथा सुनकर ही हमारे जीवन के दुख भाग जाते हैं और सुख जाग जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जब अशोक वाटिका में माता सीता चिता बनाकर बैठी थीं, तभी हनुमान जी ने प्रभु श्रीराम के गुणों का वर्णन किया और जब श्री राम जी के गुणों को सीता जी ने सुना तो उनका सारा दुख दूर हो गया। कथा का प्रारंभ श्री राम और सीता के विवाह के उपरांत अयोध्या में सभी भाइयों सहित राम और जानकी आने के प्रसंग से हुआ।कि जब श्री राम सभी भाइयों सहित जनकपुरी से विवाह कर वापस आए,तो पूरी अयोध्या के नर नारी पुष्प वर्षा करने लगे। कथा से पूर्व मुमुक्षु शिक्षा संकुल के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने श्रीव्यास गद्दी का पूजन एवं वंदन किया।
उन्होंने श्रीराम कथा के आरंभ के शुभ अवसर पर कहा कि भगवान श्रीराम की लोकोत्तर कृपा के परिणामस्वरूप आज इस प्रांगण में संतों के सम्मान और उनके दर्शन का सुअवसर प्राप्त हो रहा है। सनातन संस्कृति के संवर्धन के लिए श्री राम कथा का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि के लिए सबसे पहले संघर्ष करने वाली समितियों में गुलजारी लाल नंदा का नाम उल्लेखनीय है। रामभक्तों ने राम मंदिर निर्माण के लिए अलख जगा रखी थी। राम भक्तों ने गोलियां खाईं और मौत के मुंह में चले गए। सरयू का पानी लाल हो गया। लेकिन राम के प्रति समर्पण ही आज भव्य राम मंदिर निर्माण में सहायक सिद्ध हुआ है।
अशोक अग्रवाल ने शंकराचार्य का पूजन एवं वंदन कर स्वागत किया। एडवोकेट मनेन्द्र सिंह ने भगवान श्रीराम की चरण पादुका का पूजन किया। डॉ सत्य प्रकाश मिश्र ने विश्वेसरानंद जी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया।महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर के आजाद ने स्वामी रामेश्वरानंद जी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया। महाविद्यालय के सचिव डॉ ए के मिश्र ने कथा व्यास संत श्री विजय कौशल जी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया शंकराचार्य अनन्त वासुदेवानंद सरस्वती महाराज ने अपना उद्बोधन श्री राम जय राम जय जय राम से प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि हम मोक्ष की कामना नहीं करते। हम कामना करते हैं कि हमे बार बार इसी भारत भूमि पर जन्म मिले और हर बार श्री रामकथा को सुनने सुनाने का सुअवसर मिलता रहे। इसके साथ ही संत समागम होता रहे।
श्री रामकथा की समाप्ति पर सी.ए. संजीव बंसल,कल्पना बंसल, अशोक अग्रवाल,मनेंद्र सिंह, डॉ ए.के. मिश्र, डॉ आर के आजाद ने आरती की । कथा की समाप्ति पर सभी श्रोताओं को प्रसाद वितरण किया गया। कथा के सुअवसर पर अजय शर्मा, राजीव मेहरोत्रा, सुयश सिन्हा, डा. शिशिर शुक्ला,राम निवास गुप्ता, राजनंदन सिंह, सुधाकर गुप्ता, आलोक कुमार सिंह,नरेश मेहरोत्रा,ओम सिंह, डॉ अनुराग अग्रवाल, डॉ जे एस ओझा, डॉ मेघना मेहंदीरत्ता, डॉ अमीर सिंह यादव, चेतराम गंगवार, प्रबंध त्रिपाठी, ईशपाल सिंह, तेजपाल सिंह,आदि उपस्थित रहे।