वर्षों पुरानी परंपरा के तहत शाहजहांपुर में जुलूस के लिए लाट साहब की खोज शुरू’
टेन न्यूज।। 05 मार्च 2025 ।। डीपी सिंह डेस्क@गीता बाजपेई ब्यूरो
शाहजहांपुर में होली के अवसर पर लाट साहब का जुलूस निकाला जाता है। जुलूस में एक व्यक्ति को लाट साहब बनाकर भैंसागाड़ी पर बैठाकर शहर में घुमाया जाता है।
यह परंपरा 300 साल पुरानी है आने वाली होली के अवसर पर इसी परंपरा को निभाते हुए निकलने वाले जुलूस के लिए बड़े लाट साहब की तलाश शुरू हो गई है।
आयोजकों से दो स्थानीय लोगों ने भी लाट साहब बनने के लिए संपर्क किया है। उन्हें प्रतीक्षा सूची में डाला गया है। आयोजकों का कहना है कि अन्य जिले के व्यक्ति को तरजीह दी जाएगी।
आयोजन कमेटी के संजय वर्मा ने बताया कि जुलूस में दो भैंसा गाड़ी शामिल होंगी। इसमें एक पर लाट साहब और दूसरे पर रंग का ड्रम होगा। अधिकारियों के साथ हुई बैठक में तय हुआ कि बैलगाड़ी पर कमेटी के लोग ही रहेंगे।
लाट साहब बनने वाले व्यक्ति को 21 हजार रुपये, कपड़े, जूते, शराब की बोतलें आदि कमेटी की ओर से दी जाती हैं। शेष उपहार अन्य लोग भी देते हैं। लाट साहब को थाने में सलामी के बाद भी उपहार मिलता है। गत वर्ष रामपुर का युवक लाट साहब बना था।
संजय वर्मा ने बताया कि लाट साहब बनने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य परीक्षण कराकर उसकी कॉपी पुलिस और प्रशासन को दी जाती है। जुलूस के बाद लाट साहब को अस्पताल ले जाकर परीक्षण कराने के लिए कमेटी बनाने की मांग की गई है।
चौक से निकलने वाले बड़े लाट साहब के जुलूस का मार्ग करीब सात किलोमीटर लंबा है। जुलूस कोतवाली व थाना सदर बाजार क्षेत्र से होकर गुजरता है।
छोटे लाट साहब का जुलूस सरायकाइयां से शुरू होता है। दोनों ही जुलूसों के रास्ते पर सुरक्षा के कड़े सुरक्षा प्रबंध किए जाते हैं।
सीओ सिटी पंकज पंत ने बताया कि लाट साहब की सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए जाएंगे। आरएएफ और पीएसी की मांग की गई है। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी भी रहेगी। साथ ही ड्रोन से भी जुलूस पर निगाह रखी जाएगी।
होली के अवसर पर पुलिस की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है और वह सबसे ज्यादा बड़े और छोटे लाट साहब को लेकर चिंतित रहते है।
एक व्यक्ति को लाट साहब बनाकर भैंसागाड़ी से घुमाया जाता है। लाट साहब पर जूता-चप्पलों के साथ रंगों की बौछार होती है। यह परंपरा करीब 300 साल पुरानी है।
आरसी मिशन और चौकसी से निकलने वाले जुलूस में सबसे ज्यादा हुड़दंग होने के कारण पुलिस को यहां पर ज्यादा प्रबंधन करना पड़ता है। इस जुलूस को देखने के लिए काफी भीड़ एकत्रित होती है।
कई बार जुलूस देखने वाले लोग भी भगदड़ में घायल हो जाते हैं । लेकिन इस रंग भरे माहौल में वह सब यह चीज भूलकर लाट साहब को देखने की पूरी कोशिश करते हैं।