तिलहर की पहली महिला, प्रियंका पाठक की प्रेरक यात्रा की कहानी”
टेन न्यूज़ !! १० मार्च २०२५ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से नगर तिलहर में जन्मी प्रियंका पाठक के लिए जीवन हमेशा एक चुनौती रहा। इस नगर में महिलाओं को अपने घर से बाहर कदम रखने की भी इजाजत नहीं थी। उनका हर दिन बस घर की चार दीवारों में सिमटा रहता था, लेकिन प्रियंका ने इस बंद ताले को खोलने की ठानी थी।
प्रियंका का मन कभी शांत नहीं बैठता था। वह जानती थी कि अगर किसी ने बाहर की दुनिया में अपनी पहचान बनानी है, तो उसे अपनी सुविधा और सुरक्षा को चुनौती देनी होगी। तिलहर में जहाँ हर लड़की को घर की चौखट से बाहर निकलने की इजाजत नहीं मिलती, प्रियंका ने उस मानसिकता को तोड़ने का साहस किया।
उसने सबसे पहले खुद को तैयार किया। उसने अपने गाँव की महिलाओं को समझाया कि अगर हमें समाज में अपनी जगह बनानी है, तो हमें एकजुट होना होगा। प्रियंका ने यह महसूस किया कि गाँव में बदलाव तब आ सकता है, जब सभी लोग एक साथ मिलकर एक दूसरे की मदद करें और एक दूसरे की ताकत बनें।
प्रियंका ने एक ग्रुप की शुरुआत की, जिसका नाम रखा “सपोर्ट दो और सपोर्ट लो।” यह ग्रुप हर उस व्यक्ति के लिए था, जो समाज में बदलाव लाना चाहता था। प्रियंका ने इस ग्रुप को शुरू करने में अपने नगर के पुरुषों को भी शामिल किया, ताकि हर किसी को यह समझ में आए कि बदलाव केवल महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए जरूरी है।
प्रियंका की पहल ने तिलहर के लोगों को एक नई दिशा दी। यह Group अब सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि एक मिशन बन चुका था। प्रियंका खुद उस समूह की पहली और एकमात्र महिला सदस्य थी, जो इस पुरुष प्रधान समाज में अपने अधिकार के लिए खड़ी हुई थी।
उसका यही साहस था, जिसने सभी को एकजुट कर दिया। प्रियंका ने यह सिद्ध कर दिया कि जब एक महिला खुद को पहचानती है और अपने सपनों का पीछा करती है, तो वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन जाती है।
प्रियंका ने न सिर्फ महिलाओं को आवाज दी, बल्कि पूरे तिलहर को एकजुट किया। उसने एक प्लेटफ़ॉर्म तैयार किया जहाँ लोग अपने हुनर, अपनी कला और अपने काम को साझा करते थे। “सपोर्ट दो और सपोर्ट लो” एक ऐसा मंच बन गया जहाँ तिलहर के लोग एक-दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। अब हर किसी के पास एक आवाज थी, और वे सभी मिलकर नगर के विकास के लिए काम कर रहे थे।
प्रियंका ने हमेशा यही कहा, “अगर हम एक-दूसरे की मदद करेंगे, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।” उसने यह साबित किया कि जब हम एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं, तो हम अपने सपनों को और अपनी ज़िंदगी को बदल सकते हैं। प्रियंका ने तिलहर का नाम उत्तर प्रदेश में रोशन किया, और वह खुद एक प्रेरणा बन गई कि किसी भी लड़की के लिए अपने सपनों का पीछा करना मुश्किल नहीं है, बशर्ते वह खुद को पहचानने और अपने कदम उठाने की हिम्मत रखे।
प्रियंका पाठक ने अपनी जद्दोजहद और कड़ी मेहनत से न केवल अपनी ज़िंदगी बदली, बल्कि पूरे नगर की तस्वीर बदल दी। उसने यह साबित कर दिया कि एक महिला अगर खुद को पहचानकर अपने कदम बढ़ाए, तो वह न केवल अपनी, बल्कि दूसरों की दुनिया भी बदल सकती है।
प्रियंका का यह प्रयास अब हर किसी के दिल में एक उम्मीद और विश्वास का प्रतीक बन चुका है। “सपोर्ट दो और सपोर्ट लो” अब तिलहर के हर घर में एक मंत्र बन चुका है, और प्रियंका पाठक का नाम अब न सिर्फ तिलहर में, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में गूंज रहा है।
प्रियंका ने यह साबित कर दिया कि एक महिला न केवल खुद को, बल्कि पूरे समाज को एक साथ जोड़ सकती है।
प्रियंका पाठक की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हमारे पास आत्मविश्वास और संकल्प हो, तो हम किसी भी जंजीर को तोड़ सकते हैं। बदलाव कभी भी एक व्यक्ति से शुरू होता है, और प्रियंका ने यही साबित किया कि जब हम एक दूसरे को सहारा देते हैं, तो हम न केवल अपनी जिंदगी बदलते हैं, बल्कि पूरी दुनिया को बदल सकते हैं l