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अदबी संस्था तहरीक फरोगे ऊर्दू और बज्म गुलशने मुखतार की ओर से मृतक शायर अनवर तिलहरी को काव्यमय श्रद्धांजली

By Ten News One Desk

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अदबी संस्था तहरीक फरोगे ऊर्दू और बज्म गुलशने मुखतार की ओर से मृतक शायर अनवर तिलहरी को काव्यमय श्रद्धांजली



टेन न्यूज़ !! २५ मार्च २०२४ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर


तिलहर। बीती दोपहर बज्म गुलशने मुखतार की ओर से मोहल्ला इमली शिफा तिलहरी के आवास पर मृतक शायर अनवर तिलहरी को काव्यमय श्रधा धांजली अर्पित की गई कार्यक्रम की अध्यक्षता मुखतार तिलहरी ने की। तथा संचालन शमशाद आतिफ ने किया। मुख्य अतिथि रहमत तिलहरी रहे
कार्यक्रम का शुभारंभ मसूद हुसैन लाडले मियाँ ने किया।

मुखतार तिलहरी ने कहा
दुनियवी काम धाम अपनी जगह
ज़िक्रे खैरूल अनाम अपनी जगह ।

रहमत तिलहरी ‘ ने सुनाया –
किसी बिगड़ी हुई औलाद के माँ बाप से पूछे
ज़िनहें रहना म्यस्सर तक नही बच्चो के साये मे l

शमशाद आतिफ ने कहा –
बज्मे सुखन से एक सुखनवर चला गया
ऊर्दू अदब का माहे मुनव्वर चला गया
रोता सिसकता छोड़ के य़ाराने खल्क को
अनवर था ज़िसका नाम वो यावर चला गया l

शिफा तिलहरी ने कहा – l
अनवर ने खैरबाद कहा इस जहान को
शेरो सुखन की महफिलें गमगीन हो गयीं l

साजिद सफदर ने सुनाया –
ग़ज़लों का नातगोई का महवर कहें जिसे
यानी सुख़नवरी का सुख़नवर कहें जिसे
छोटी सी इस ज़बान से अब और क्या कहें
शहर ए अदब का फूल था अनवर कहें जिसे l

रेहान ताबिश ने कहा –
आवाज़ दे रहे थे ये सरदार तिलहरी
आ जाओ मेरे पास में अनवार तिलहरी l

वहीद तिलहरी ने सुनाया –
दुनिया से वह किसी भी बहाने चले गये।
लेकिन वह हमसे अच्छे ठिकाने चले गये।

हसन तिलहरी ने कहा –
अनवर तो इस जहान से रुख्सत हुये मगर
उनकी गज़ल के शेर अभी याद हैँ हमें l

काव्य गोष्ठी में बसीरुद्दीन अमिर मियाँ अनीस हुसेन गुडडू वाजिद तिलहरी हाजी सफदर मियाँ, अली जावेद राईन जहीर अहमद , आदि मौजूद रहे। अंत में संयोजक शिफा तिलहरी ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

अदबी संस्था तहरीक फरोगे ऊर्दू और बज्म गुलशने मुखतार की ओर से मृतक शायर अनवर तिलहरी को काव्यमय श्रद्धांजली

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टेन न्यूज़ !! २५ मार्च २०२४ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर


तिलहर। बीती दोपहर बज्म गुलशने मुखतार की ओर से मोहल्ला इमली शिफा तिलहरी के आवास पर मृतक शायर अनवर तिलहरी को काव्यमय श्रधा धांजली अर्पित की गई कार्यक्रम की अध्यक्षता मुखतार तिलहरी ने की। तथा संचालन शमशाद आतिफ ने किया। मुख्य अतिथि रहमत तिलहरी रहे
कार्यक्रम का शुभारंभ मसूद हुसैन लाडले मियाँ ने किया।

मुखतार तिलहरी ने कहा
दुनियवी काम धाम अपनी जगह
ज़िक्रे खैरूल अनाम अपनी जगह ।

रहमत तिलहरी ‘ ने सुनाया –
किसी बिगड़ी हुई औलाद के माँ बाप से पूछे
ज़िनहें रहना म्यस्सर तक नही बच्चो के साये मे l

शमशाद आतिफ ने कहा –
बज्मे सुखन से एक सुखनवर चला गया
ऊर्दू अदब का माहे मुनव्वर चला गया
रोता सिसकता छोड़ के य़ाराने खल्क को
अनवर था ज़िसका नाम वो यावर चला गया l

शिफा तिलहरी ने कहा – l
अनवर ने खैरबाद कहा इस जहान को
शेरो सुखन की महफिलें गमगीन हो गयीं l

साजिद सफदर ने सुनाया –
ग़ज़लों का नातगोई का महवर कहें जिसे
यानी सुख़नवरी का सुख़नवर कहें जिसे
छोटी सी इस ज़बान से अब और क्या कहें
शहर ए अदब का फूल था अनवर कहें जिसे l

रेहान ताबिश ने कहा –
आवाज़ दे रहे थे ये सरदार तिलहरी
आ जाओ मेरे पास में अनवार तिलहरी l

वहीद तिलहरी ने सुनाया –
दुनिया से वह किसी भी बहाने चले गये।
लेकिन वह हमसे अच्छे ठिकाने चले गये।

हसन तिलहरी ने कहा –
अनवर तो इस जहान से रुख्सत हुये मगर
उनकी गज़ल के शेर अभी याद हैँ हमें l

काव्य गोष्ठी में बसीरुद्दीन अमिर मियाँ अनीस हुसेन गुडडू वाजिद तिलहरी हाजी सफदर मियाँ, अली जावेद राईन जहीर अहमद , आदि मौजूद रहे। अंत में संयोजक शिफा तिलहरी ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

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