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इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला : प्रेम संबंधों में बने शारीरिक रिश्ते दुष्कर्म नहीं

By Ten News One Desk

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला : प्रेम संबंधों में बने शारीरिक रिश्ते दुष्कर्म नहीं



टेन न्यूज।। 13 सितंबर 2025 ।। सोशल मीडिया डेस्क


इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेम संबंधों और शारीरिक रिश्तों से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि यदि कोई महिला यह जानते हुए भी कि सामाजिक कारणों से विवाह संभव नहीं है, फिर भी वर्षों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाती है, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

मामला दो लेखपालों से जुड़ा है। महिला लेखपाल ने सहकर्मी पर आरोप लगाया था कि उसने वर्ष 2019 में जन्मदिन की पार्टी के बहाने घर बुलाकर नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म किया और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया। बाद में शादी का वादा किया, लेकिन चार साल बाद जातिगत कारण बताते हुए शादी से इंकार कर दिया।

पीड़िता का कहना था कि पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद उसने एससी-एसटी की विशेष अदालत में परिवाद दाखिल किया। हालांकि अदालत ने परिवाद यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामला दुष्कर्म का नहीं है।

जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकलपीठ ने भी सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद पीड़िता की अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने साफ कहा कि सहमति से बनाए गए रिश्तों को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। स्रोत: सोशल मीडिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला : प्रेम संबंधों में बने शारीरिक रिश्ते दुष्कर्म नहीं

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टेन न्यूज।। 13 सितंबर 2025 ।। सोशल मीडिया डेस्क


इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेम संबंधों और शारीरिक रिश्तों से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि यदि कोई महिला यह जानते हुए भी कि सामाजिक कारणों से विवाह संभव नहीं है, फिर भी वर्षों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाती है, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

मामला दो लेखपालों से जुड़ा है। महिला लेखपाल ने सहकर्मी पर आरोप लगाया था कि उसने वर्ष 2019 में जन्मदिन की पार्टी के बहाने घर बुलाकर नशीला पदार्थ पिलाकर दुष्कर्म किया और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया। बाद में शादी का वादा किया, लेकिन चार साल बाद जातिगत कारण बताते हुए शादी से इंकार कर दिया।

पीड़िता का कहना था कि पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद उसने एससी-एसटी की विशेष अदालत में परिवाद दाखिल किया। हालांकि अदालत ने परिवाद यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामला दुष्कर्म का नहीं है।

जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकलपीठ ने भी सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद पीड़िता की अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने साफ कहा कि सहमति से बनाए गए रिश्तों को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। स्रोत: सोशल मीडिया

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