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तिलहर में बज्म अरबाब ए सुखन की ओर से हुआ माहाना तरही महफ़िल ए मुशायरा का आयोजन 

By Ten News One Desk

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तिलहर में बज्म अरबाब ए सुखन की ओर से हुआ माहाना तरही महफ़िल ए मुशायरा का आयोजन



टेन न्यूज़ !! ११ मार्च २०२४ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर


तिलहर। बीती रात बज्म अरबाब ए सुखन की ओर से मोहल्ला घेर चौबा गुलशन मेडम के आवास पर माहाना बैनर तले महफिल ए मुशायरा का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों अपनी गजलों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ओम प्रकाश साहू तिलहरी ने की। तथा संचालन मास्टर शाहिद अली ने किया। मुख्य अतिथि खलीक शौक शाहजहाँपुरी रहे

कार्यक्रम का शुभारंभ मसूद हुसैन लाडले मियाँ ने किया।

ओम प्रकाश साहू ने कहा –
यक़ीं कैसे वफ़ा का उसकी होगा,
वह जब हरजाई जैसा हो रहा है।

शकील तिलहरी ‘ ने सुनाया –
तिरी क़ुरबत को कैसे भूल जाऊँ
वही तो ज़ख़्म गहरा हो रहा है

गुलशन जहां ने कहा –
जो अपना था पराया हो रहा है
बगावत का इशारा हो रहा है

हसीब चमन ने कहा –
नई तहज़ीब में क्या हो रहा है
तेरे बातिन पे हमला हो रहा है

खलीक शौक ने सुनाया –
मुहाफिज़ चश्म पोशी कर रहा है
निगेहबानी का धोका हो रहा है

रईस मन ने कहा –
ये आँसू रोकना होंगे तुमहें मन
कोई मासूम रुसवा हो रहा है

मुनीब शाहजहांपुरी ने सुनाया –
हमें दुश्मन से कोई डर नहीं हैं
हमें अपनो से खतरा हो रहा है

रईस तिलहरी ने कहा –
कहीं बर्बाद खाना हो रहा है
किसी के घर में फ़ाक़ा हो रहा है

वहीद तिलहरी ने सुनाया
ये कौन आया हमारी अंजुमन मे
उजाला ही उजाला हो रहा है

फरीद तिलहरी ने कहा –
उधर गुल खिल रहे हैँ आरजू के
इधर खून ए तमन्ना हो रहा है

शमशाद आतिफ ने सुनाया –
मेरी आँखों से देखो अपनी सूरत
ये आईना तो धुंधला हो रहा है

इनके अलावा फैजान तिलहरी रेहान ताबिश रहमत तिलहरी साजिद सफदर ने भी अपने कलाम पेश किये।
मुशायरे में बसीरुद्दीन अमिर मियाँ हाजी सफदर मियाँ, जहीर अहमद अनस अहमद, आदि मौजूद रहे। अंत में संयोजक गुलशन जहाँ ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

तिलहर में बज्म अरबाब ए सुखन की ओर से हुआ माहाना तरही महफ़िल ए मुशायरा का आयोजन 

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टेन न्यूज़ !! ११ मार्च २०२४ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर


तिलहर। बीती रात बज्म अरबाब ए सुखन की ओर से मोहल्ला घेर चौबा गुलशन मेडम के आवास पर माहाना बैनर तले महफिल ए मुशायरा का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों अपनी गजलों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ओम प्रकाश साहू तिलहरी ने की। तथा संचालन मास्टर शाहिद अली ने किया। मुख्य अतिथि खलीक शौक शाहजहाँपुरी रहे

कार्यक्रम का शुभारंभ मसूद हुसैन लाडले मियाँ ने किया।

ओम प्रकाश साहू ने कहा –
यक़ीं कैसे वफ़ा का उसकी होगा,
वह जब हरजाई जैसा हो रहा है।

शकील तिलहरी ‘ ने सुनाया –
तिरी क़ुरबत को कैसे भूल जाऊँ
वही तो ज़ख़्म गहरा हो रहा है

गुलशन जहां ने कहा –
जो अपना था पराया हो रहा है
बगावत का इशारा हो रहा है

हसीब चमन ने कहा –
नई तहज़ीब में क्या हो रहा है
तेरे बातिन पे हमला हो रहा है

खलीक शौक ने सुनाया –
मुहाफिज़ चश्म पोशी कर रहा है
निगेहबानी का धोका हो रहा है

रईस मन ने कहा –
ये आँसू रोकना होंगे तुमहें मन
कोई मासूम रुसवा हो रहा है

मुनीब शाहजहांपुरी ने सुनाया –
हमें दुश्मन से कोई डर नहीं हैं
हमें अपनो से खतरा हो रहा है

रईस तिलहरी ने कहा –
कहीं बर्बाद खाना हो रहा है
किसी के घर में फ़ाक़ा हो रहा है

वहीद तिलहरी ने सुनाया
ये कौन आया हमारी अंजुमन मे
उजाला ही उजाला हो रहा है

फरीद तिलहरी ने कहा –
उधर गुल खिल रहे हैँ आरजू के
इधर खून ए तमन्ना हो रहा है

शमशाद आतिफ ने सुनाया –
मेरी आँखों से देखो अपनी सूरत
ये आईना तो धुंधला हो रहा है

इनके अलावा फैजान तिलहरी रेहान ताबिश रहमत तिलहरी साजिद सफदर ने भी अपने कलाम पेश किये।
मुशायरे में बसीरुद्दीन अमिर मियाँ हाजी सफदर मियाँ, जहीर अहमद अनस अहमद, आदि मौजूद रहे। अंत में संयोजक गुलशन जहाँ ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

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