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गुलशन मुख्तार हिंदी उर्दू साहित्यिक संस्था की ओर से शायर उवैस खान शिफा के आवास पर एक शेरी नशिस्त का आयोजन

By Ten News One Desk

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गुलशन मुख्तार हिंदी उर्दू साहित्यिक संस्था की ओर से शायर उवैस खान शिफा के आवास पर एक शेरी नशिस्त का आयोजन



टेन न्यूज़ !! १६ फरवरी २०२५ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर


बीती रात गुलशन मुख्तार हिंदी उर्दू साहित्यिक संस्था की ओर से शायर उवैस खान शिफा की आवास पर एक शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता जर्रार तिलहरी और संचालन हसन तिलहरी ने किया तथा मुख्य अतिथि उस्ताद शायर शमशाद आतिफ रहे मुशायरे का शुभारम्भ मसूद हसन खां “लाडले मियां” ने नात ए पाक से किया।

जर्रार तिलहरी ने कहा –
पार होना है तो दरिया में उतर जाते हैं
ज़ह्न में लाख अगर और मगर आता है ll

शमशाद आतिफ ने सुनाया –
ज़ख्म लगाना कोई मुश्किल काम नहीं
मुश्किल काम तो ज़ख्मों की तुरपाई है ll

रईस तिलहरी ने कहा –
जब वह मरहम लगाने आए हैं
जख्म ए दिल और मुस्कुराए हैं ll

रहमत तिलहरी ने सुनाया –
रहमत भरोसा हमने किया जिस पे इस कदर
इंसानियत को उसने किया तार तार है ll

उवैस खां शिफा ने सुनाया –
होती नहीं लिबास से पहचान आजकल
रिश्ते नए बनाना बहुत देखभाल कर ll

साजिद सफदर ने कहा –
तुम तो वह हो मुझे महसूस भी कर सकते हो जख्म ए दिल मैंने दिखाया तो मजा क्याआया ll

हसन तिलहरी ने सुनाया –
हम हैं उर्दू ज़ुबां वाले हमें नफरत न सिखलाओ
हमारा काम दुनिया में मोहब्बत बांटने का है ll

रईस मन ने कहा –
यूँ चराग़ों से तू न उलझा कर
फूस का घर है जल भी सकता है।l

डा० रेहान ताबिश ने सुनाया –
जब मिला ही नहीं कभी ताबिश
उसके अंदाज़ को तु क्या जाने ll

मुशायरा देर रात चलता रहा जिसमें नन्हे मियां, डॉक्टर तस्लीम,डॉक्टर इशरत, अरमान खान, तालिब खान, मौलाना फैसल रजा, कारी इदरीस, फरीदुद्दीन गुड्डू आदि मौजूद रहे

आख़िर में साहिबे खाना उवैस खां शिफा ने सबका शुक्रिया अदा किया।

गुलशन मुख्तार हिंदी उर्दू साहित्यिक संस्था की ओर से शायर उवैस खान शिफा के आवास पर एक शेरी नशिस्त का आयोजन

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गुलशन मुख्तार हिंदी उर्दू साहित्यिक संस्था की ओर से शायर उवैस खान शिफा के आवास पर एक शेरी नशिस्त का आयोजन



टेन न्यूज़ !! १६ फरवरी २०२५ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर


बीती रात गुलशन मुख्तार हिंदी उर्दू साहित्यिक संस्था की ओर से शायर उवैस खान शिफा की आवास पर एक शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता जर्रार तिलहरी और संचालन हसन तिलहरी ने किया तथा मुख्य अतिथि उस्ताद शायर शमशाद आतिफ रहे मुशायरे का शुभारम्भ मसूद हसन खां “लाडले मियां” ने नात ए पाक से किया।

जर्रार तिलहरी ने कहा –
पार होना है तो दरिया में उतर जाते हैं
ज़ह्न में लाख अगर और मगर आता है ll

शमशाद आतिफ ने सुनाया –
ज़ख्म लगाना कोई मुश्किल काम नहीं
मुश्किल काम तो ज़ख्मों की तुरपाई है ll

रईस तिलहरी ने कहा –
जब वह मरहम लगाने आए हैं
जख्म ए दिल और मुस्कुराए हैं ll

रहमत तिलहरी ने सुनाया –
रहमत भरोसा हमने किया जिस पे इस कदर
इंसानियत को उसने किया तार तार है ll

उवैस खां शिफा ने सुनाया –
होती नहीं लिबास से पहचान आजकल
रिश्ते नए बनाना बहुत देखभाल कर ll

साजिद सफदर ने कहा –
तुम तो वह हो मुझे महसूस भी कर सकते हो जख्म ए दिल मैंने दिखाया तो मजा क्याआया ll

हसन तिलहरी ने सुनाया –
हम हैं उर्दू ज़ुबां वाले हमें नफरत न सिखलाओ
हमारा काम दुनिया में मोहब्बत बांटने का है ll

रईस मन ने कहा –
यूँ चराग़ों से तू न उलझा कर
फूस का घर है जल भी सकता है।l

डा० रेहान ताबिश ने सुनाया –
जब मिला ही नहीं कभी ताबिश
उसके अंदाज़ को तु क्या जाने ll

मुशायरा देर रात चलता रहा जिसमें नन्हे मियां, डॉक्टर तस्लीम,डॉक्टर इशरत, अरमान खान, तालिब खान, मौलाना फैसल रजा, कारी इदरीस, फरीदुद्दीन गुड्डू आदि मौजूद रहे

आख़िर में साहिबे खाना उवैस खां शिफा ने सबका शुक्रिया अदा किया।

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