ममता बनर्जी के बाद अब सपा ने दिया कांग्रेस को झटका, PM-CM को हटाने वाले बिल पर JPC का बहिष्कार
टेन न्यूज़ !! २४ अगस्त २०२५ !! सोशल मीडिया डेस्क @नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को 30 दिन की गिरफ्तारी की स्थिति में पद से हटाने वाले विधेयकों को लेकर विपक्ष में दरार गहराती जा रही है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बाद अब समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। दोनों दलों ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का बहिष्कार करते हुए इसमें शामिल न होने का फैसला किया है।
टीएमसी का रुख पहले से ही तय माना जा रहा था, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव का कांग्रेस के खिलाफ खड़ा होना विपक्षी खेमे में हलचल पैदा कर गया है। अब कांग्रेस के सामने विपक्षी एकजुटता बनाए रखने की चुनौती और बड़ी हो गई है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिल को खारिज करते हुए कहा कि “इस विधेयक का विचार ही गलत है। गृह मंत्री अमित शाह ने खुद कई बार कहा है कि उन पर झूठे केस लगाए गए। अगर झूठे केस किसी पर भी लगाए जा सकते हैं तो यह बिल व्यावहारिक नहीं है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि सपा नेताओं जैसे आजम खान, रामाकांत यादव और इरफान सोलंकी को राजनीतिक कारणों से जेल भेजा गया। अखिलेश ने इसे भारत के संघीय ढांचे पर हमला बताते हुए कहा कि कानून-व्यवस्था राज्यों का विषय है, केंद्र इस पर दखल नहीं दे सकता।
टीएमसी ने भी तीनों विधेयकों पर विचार के लिए गठित जेपीसी को “तमाशा” बताया और साफ कर दिया कि वह इसमें कोई सदस्य नामित नहीं करेगी। पार्टी ने कहा कि वह संविधान के 130वें संशोधन विधेयक का शुरू से विरोध कर रही है और यह समिति केवल दिखावा है।
हाल ही में लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश हुए—
-
केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025
-
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025
-
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025
इनमें प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर आरोप में लगातार 30 दिन जेल में रहते हैं तो उन्हें पद से हटाया जा सकेगा। समिति को निर्देश है कि वह इन विधेयकों पर रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में सदन को सौंपे।
राज्यसभा में टीएमसी के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी गठबंधन पूरे मानसून सत्र में “रक्षात्मक” रहा। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा कि भाजपा को अभी तक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष तक नहीं मिला है और सरकार “वोट चोरी घोटाले” के दबाव में सत्र चलाने से बचती रही।