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डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान द्वारा उत्तर प्रदेश में सर्पदंश से बचाव पर कार्यशाला का आयोजन 

By Ten News One Desk

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डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान द्वारा उत्तर प्रदेश में सर्पदंश से बचाव पर कार्यशाला का आयोजन



टेन न्यूज़ !! ३० जुलाई २०२५ !! आर के श्रीवास्तव, मंडल ब्यूरो लखनऊ


डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश में सर्पदंश से बचाव पर कार्यशालाओं का सफल आयोजन

राजधानी लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सामुदायिक चिकित्सा विभाग ने, फाउंडेशन फॉर पीपल-सेंट्रिक हेल्थ सिस्टम्स (FPHS), नई दिल्ली के सहयोग से, सोमवार को उत्तर प्रदेश में सर्पदंश (सांप काटने) से बचाव पर केंद्रित तीन महत्वपूर्ण कार्यशालाओं का सफल आयोजन किया।

इन कार्यशालाओं में स्वास्थ्य प्रशासन, डॉक्टरों और मीडिया से जुड़े प्रमुख लोगों ने भाग लिया और सर्पदंश की रोकथाम और इलाज से जुड़े चिकित्सा, नीतिगत और जागरूकता संबंधी मुद्दों पर चर्चा की। कार्यशाला में डॉ. चंद्रकांत लहरिया, FPHS के संस्थापक निदेशक और प्रसिद्ध जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ ने राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों और राज्य स्तरीय रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की, जो “सर्पदंश रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPSE)” के अनुसार हैं।

डॉ. पंकज सक्सेना, संयुक्त निदेशक, डीजीएमएच, उत्तर प्रदेश सरकार व राज्य नोडल अधिकारी (सर्पदंश) ने सर्पदंश से बचाव और प्रबंधन से जुड़े हालिया अपडेट साझा किए।

भारत में सर्पदंश एक गंभीर जनस्वास्थ्य समस्या है, जिससे हर साल लगभग 49,000 लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मौतें होती हैं। डॉ. लहरिया ने बताया कि यदि समय पर एंटी-स्नेक वेनम सीरम (ASVS) दिया जाए और मानकीकृत रेफरल प्रक्रिया अपनाई जाए, तो सर्पदंश से होने वाली मौतें पूरी तरह से रोकी जा सकती हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि समाज में फैली भ्रांतियाँ और गलत प्राथमिक उपचार की जानकारी अक्सर समय पर इलाज में देरी करती है।
कार्यशाला में तीन प्रमुख समूहों पर विशेष सत्र रखे गए:-
* सरकारी अधिकारी: निगरानी तंत्र की कमजोरियों और विभिन्न विभागों के समन्वय पर चर्चा
* चिकित्सक: WHO दिशा-निर्देश, ASVS के उपयोग और केस-आधारित प्रबंधन पर चर्चा
* मीडिया कर्मी: सर्पदंश पर सही रिपोर्टिंग और जन-जागरूकता के महत्व पर जानकारी दी गई

इन सत्रों का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) सी.एम. सिंह ने किया और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने उन्हें संचालित किया। विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) एस.डी. कंडपाल और आयोजन सचिव डॉ. मिली सेंगर ने कार्यक्रम की थीम और संचालन की जिम्मेदारी संभाली।

यह पहल विभागीय समन्वय, वैज्ञानिक आधार पर कार्यवाही, और समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे इस उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग से निपटने में मदद मिलेगी। कार्यशालाओं ने उत्तर प्रदेश में सर्पदंश प्रबंधन के लिए एक मजबूत और संगठित रूपरेखा की नींव रखी है। FPHS और RMLIMS भविष्य में राज्य के अन्य प्रभावित जिलों में भी इसी तरह की कार्यशालाएँ आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।

डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान द्वारा उत्तर प्रदेश में सर्पदंश से बचाव पर कार्यशाला का आयोजन 

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टेन न्यूज़ !! ३० जुलाई २०२५ !! आर के श्रीवास्तव, मंडल ब्यूरो लखनऊ


डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश में सर्पदंश से बचाव पर कार्यशालाओं का सफल आयोजन

राजधानी लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सामुदायिक चिकित्सा विभाग ने, फाउंडेशन फॉर पीपल-सेंट्रिक हेल्थ सिस्टम्स (FPHS), नई दिल्ली के सहयोग से, सोमवार को उत्तर प्रदेश में सर्पदंश (सांप काटने) से बचाव पर केंद्रित तीन महत्वपूर्ण कार्यशालाओं का सफल आयोजन किया।

इन कार्यशालाओं में स्वास्थ्य प्रशासन, डॉक्टरों और मीडिया से जुड़े प्रमुख लोगों ने भाग लिया और सर्पदंश की रोकथाम और इलाज से जुड़े चिकित्सा, नीतिगत और जागरूकता संबंधी मुद्दों पर चर्चा की। कार्यशाला में डॉ. चंद्रकांत लहरिया, FPHS के संस्थापक निदेशक और प्रसिद्ध जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ ने राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों और राज्य स्तरीय रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की, जो “सर्पदंश रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPSE)” के अनुसार हैं।

डॉ. पंकज सक्सेना, संयुक्त निदेशक, डीजीएमएच, उत्तर प्रदेश सरकार व राज्य नोडल अधिकारी (सर्पदंश) ने सर्पदंश से बचाव और प्रबंधन से जुड़े हालिया अपडेट साझा किए।

भारत में सर्पदंश एक गंभीर जनस्वास्थ्य समस्या है, जिससे हर साल लगभग 49,000 लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मौतें होती हैं। डॉ. लहरिया ने बताया कि यदि समय पर एंटी-स्नेक वेनम सीरम (ASVS) दिया जाए और मानकीकृत रेफरल प्रक्रिया अपनाई जाए, तो सर्पदंश से होने वाली मौतें पूरी तरह से रोकी जा सकती हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि समाज में फैली भ्रांतियाँ और गलत प्राथमिक उपचार की जानकारी अक्सर समय पर इलाज में देरी करती है।
कार्यशाला में तीन प्रमुख समूहों पर विशेष सत्र रखे गए:-
* सरकारी अधिकारी: निगरानी तंत्र की कमजोरियों और विभिन्न विभागों के समन्वय पर चर्चा
* चिकित्सक: WHO दिशा-निर्देश, ASVS के उपयोग और केस-आधारित प्रबंधन पर चर्चा
* मीडिया कर्मी: सर्पदंश पर सही रिपोर्टिंग और जन-जागरूकता के महत्व पर जानकारी दी गई

इन सत्रों का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) सी.एम. सिंह ने किया और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने उन्हें संचालित किया। विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) एस.डी. कंडपाल और आयोजन सचिव डॉ. मिली सेंगर ने कार्यक्रम की थीम और संचालन की जिम्मेदारी संभाली।

यह पहल विभागीय समन्वय, वैज्ञानिक आधार पर कार्यवाही, और समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे इस उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग से निपटने में मदद मिलेगी। कार्यशालाओं ने उत्तर प्रदेश में सर्पदंश प्रबंधन के लिए एक मजबूत और संगठित रूपरेखा की नींव रखी है। FPHS और RMLIMS भविष्य में राज्य के अन्य प्रभावित जिलों में भी इसी तरह की कार्यशालाएँ आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।

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