फरीदपुर कोतवाली का घूसखोर इंस्पेक्टर के मददगार पुलिस वाले नपे, पांच निलंबित, दरोगा और सिपाही लाइन हाजिर
टेन न्यूज।। 25 अगस्त 2024 ।। राकेश कुमार/रामवीर, बरेली
स्मैक तस्करों से सात लाख रुपये घूस लेने वाले फरीदपुर थाने के प्रभारी रहे इंस्पेक्टर रामसेवक के मददगार पांच सिपाहियों को एसएसपी अनुराग आर्य ने निलंबित कर दिया है, जबकि दरोगा और एक सिपाही को लाइन हाजिर कर दिया है। ये सभी अवैध वसूली में इंस्पेक्टर के सहयोगी थे।
यूपी के जिला बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य के निर्देश पर एसपी साउथ मानुष पारीक और सीओ गौरव सिंह ने बृहस्पतिवार को फरीदपुर थाने में छापा मारा था। इस दौरान थाना प्रभारी रामसेवक थाने की दीवार फांदकर फरार हो गया था। पुलिस टीम ने उसका पीछा किया लेकिन वह हाथ नहीं आया।
इंस्पेक्टर के आवास से छापे के दौरान करीब 9 लाख 86 हजार रुपये बरामद हुए थे। फरीदपुर थाने में इंस्पेक्टर रामसेवक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उसे निलंबित कर दिया गया था। पुलिस की कई टीमें उसकी तलाश में जुटी हैं लेकिन वह अब तक पकड़ में नहीं आया है।
इन पुलिसवालों पर गिरी गाज
फरीदपुर सीओ गौरव सिंह की रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी अनुराग आर्य ने फरीदपुर थाने में तैनात मुख्य आरक्षी रिजवान, नीरज, एहसान, सौरभ कुमार और कृष्णा कुमार को निलंबित कर दिया है। वहीं दरोगा जावेद अली और आरक्षी अतुल वर्मा को रिजर्व पुलिस लाइन स्थानांतरित कर दिया है। इन पर इंस्पेक्टर रामसेवक का सहयोग करने का आरोप है।
स्मैक तस्करों को छोड़ने के एवज में ली थी घूस
फरीदपुर पुलिस ने बुधवार को गांव नवदिया निवासी स्मैक तस्कर आलम, मोहम्मद इस्लाम और नियाज अहमद को पकड़ा था। बताते हैं कि तीनों तस्करों को छोड़ने के एवज में इंस्पेक्टर ने 15 लाख रुपये मांगे थे। बाद में सात लाख रुपये लेकर दो तस्करों को छोड़ दिया था मगर एक तस्कर रुपयों का इंतजाम नहीं कर पाया तो उसने नहीं छोड़ा। इस मामले की शिकायत किसी ने एसएसपी से कर दी, एसएसपी के निर्देश पर एसपी और सीओ ने छापा मारा तो इंस्पेक्टर भाग निकला।
विधायक का है रिश्तेदार, हर अवैध धंधे का बंधा था पैसा
इंस्पेक्टर रामसेवक सत्तापक्ष के एक विधायक का रिश्तेदार है। इसी बात का वह फायदा उठाता था। यही वजह रही कि वह जिस भी जिले में रहा थाने का चार्ज उस पर बना रहा। फरीदपुर थाने में वह अपने कुछ करीबी पुलिसवालों की मदद से वसूली का अड्डा चला रहा था। मादक पदार्थ तस्करों को संरक्षण देने के साथ ही जुआं, सट्टा, खनन आदि अवैध धंधे करने वालों से वह वसूली कराता था। सिपाही से लेकर दरोगा तक को उसने वसूली के काम में लगा रखा था।