पैरों से दिव्यांग छात्र सात्विक शर्मा ने इण्टर मीडिएट में 94.8 प्रतिशत अंक हासिल कर परचम फहराकर स्कूल और परिवार का गौरव बढ़ाया
टेन न्यूज़ !! १७ मई २०२४ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर
तिलहर सात्विक शर्मा ने दिव्यांगता को अभिशाप नहीं बल्कि ईश्वरीय वरदान मान अपनी लगन शीलता से इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया कि मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है,
नगर के सेंट मेरी कान्वेंट सीनियर सेकेंड्री स्कूल में दोनो पैरों से दिव्यांग छात्र सात्विक शर्मा ने इण्टर मीडियेट में 94.8 प्रतिशत अंक हासिल कर परचम फहराया। वहीं घर पर ही पढ़ाई कर जेईई मेंस परीक्षा में 95 परसेंटाइल हासिल कर अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया है। हाईस्कूल में भी सात्विक ने 96.6 प्रतिशत अंक हासिल कर स्कूल और परिवार का गौरव बढ़ाया था।
सात्विक के पिता गांव रहदेवा निवासी अखिलेश शर्मा भी हड्डी रोग से ग्रस्त हैं मां वन्दना शर्मा और छोटे भाई आर्यन शर्मा पर ही पिता पुत्र की जिम्मेदारी है। वंदना शर्मा ने बताया कि सात्विक का दिल्ली के एम्स में इलाज चल रहा है। डाक्टरों ने उसकी बिमारी अनुवंशिक बताई है।
आए दिन सात्विक व उसके पिता की हड्डियां फ्रेक्चर हो जाती हैं। सात्विक तीन साल की उम्र था दुरुस्त था। उसके बाद वह दिव्यांग हो गया। सात्विक की बीमारी से त्रस्त मां वन्दना और छोटा भाई आर्यन ही सात्त्विक को स्कूल पहुंचाते और लाते हैं। एनसी से ही सात्विक सेंटमेरी का छात्र है।
सात्विक के हौसले और सफलता पर मां वन्दना, पिता अखिलेश व भाई आर्यन की निगाहें टिकी हैं। आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी न होने पर स्कूल प्रबंध तंत्र की ओर से सात्विक को काफी रियायत और सपोर्ट दी गई है। सात्विक ने हर कठिनाई को अपनी लगन व उद्देश्य के आगे छोटा कर दिया है अपने साक्षात्कार में सात्विक ने जेईई एडवांस कर आईआईटी करके इंजीनियरिंग करने की इच्छा जताई है।
सात्विक से युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिये मां वंदना का कहना है कि हमें व हमारे बच्चे को आज तक कोई भी सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं हुई ना ही किसी संस्था ने इसकी और ध्यान दिया