तिलहर में साद ए सुखन के बैनर तले मुखतार तिलहरी के सम्मान मे हुआ महफ़िल ए मुशायरा
टेन न्यूज़ !! ०८ मार्च २०२४ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर
बीती रात साद ए सुखन के बैनर तले शमशाद आतिफ व साजिद सफदर के कर कमलो द्वारा शाम ए गज़ल एक शाम मुखतार तिलहरी के नाम महफिल ए मुशायरा का आयोजन मोहल्ला कच्चा कटरा स्थित इकबाल हुसैन फूल मियाँ के आवास पर किया गया।
जिसमें शायरों अपनी गजलों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुखतार तिलहरी ने की। तथा संचालन फहीम बिस्मिल ने किया। मुख्य अतिथि हाजी आरिफ हुसैन उर्फ पप्पू तथा विषेश अतिथि साजिद अली खाँ, बसीर
उद्दीन आमिर मियाँ, मास्टर शाहिद अली, अनीस हुसैन गुड्डू रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मसूद हुसैन लाडले मियाँ नात ए पाक से किया।
मुखतार तिलहरी ने कहा –
ये बुलंदी न रास आयेगी
खुद को थोड़ा सा पस्त होने दो
ज्ञानेन्द्र मोहन ‘ज्ञान’ ने सुनाया –
आपके चेहरे पे इतनी वहशतें अच्छी नहीं।
हर किसी से बेवजह की नफ़रतें अच्छी नहीं।
विकास सोनी ‘ऋतुराज’ ने कहा –
फ़क़त इस बात का गम हो रहा है
मेरा दुःख क्यों नहीं कम हो रहा है
तड़प कर रो रहे हैं रात दिन यूँ
बड़ा ग़मगीन मौसम हो रहा है
इशरत सग़ीर ने कहा –
इस दिल को दिमाग़ कर लिया था हमने
चेहरा बेदाग़ कर लिया था हमने
बस उसको तलाशने की ख़ातिर ‘इशरत’
सूरज को चराग़ कर लिया था हमने
फहीम बिस्मिल ने कहा –
मंसूब है हर काम निराला हम से
तहजीब का रोशन है हवाला हम से
तारीख भी शाहिद है ज़माना है गवाह
पाया है दुनिया ने उजाला हम से
खलीक शौक ने सुनाया –
हंसा कर मुझे फिर रुलाने लगा है
मेरा ज़र्फ वो आज़माने लगा है
रहमत तिलहरी ने कहा –
उम्दा क़िरदार से इंसान चमक जाता है
जैसे फूलों से गुलिस्तान महक जाता है
हसीब चमन ने कहा –
मुझको पत्थर भी ज़माने के नहीं रोक सके
तुमने दुनिया की निगाहों से दहेलना सीखा
अर्शी पिहानवी ने सुनाया –
डालो तो नज़र चश्मा ए नफरत से परे
हैँ रब की कसम कितने कदावार मुखतार
कैसे न करें नाज हम उन पर अर्शी
दरया ए सुखन के हैं सनावर। मुखतार
शिफा तिलहरी ने कहा
तेरे जाने से मिरा दम भी निकल सकता है
लौट आ लौट आ ऐ रूठ के जाने वाले
रईस मन ने कहा –
गर चरागों को वफा तुम ने सिखाई होती
इन मुंडेरों पे अभी और उजाला होता
मुनीब शाहजहांपुरी ने सुनाया –
दिला जो दिल तो ज़माने का प्यार खो बैठे
वफा की चाह में अपना करार खो बैठे
रेहान ताबिश ने कहा –
आगे आगे जनाबे आला हैँ
पीछे पीछे जनाब की खुशबू
हसन तिलहरी ने कहा –
ये तख्तओ ताज ये दौलत कदे तुम्हारे हैँ
हमारे हाथ मे टूटे हुये सितारे हैँ
वाजिद तिलहरी ने सुनाया –
दोस्ती,चाहत, मुहब्बत, इन्किसारी और वफ़ा।
इन ख़ताओं की सज़ा संगीन होना चाहिए।
रईस तिलहरी ने कहा –
अब क्या झुकेगा सर मेरा शमशीर देख कर
सीना भी मैने खोल दिया तीर देख कर
फैजान तिलहरी ने सुनाया –
खनक जन्जीर की जिस दिन न गून्जे
समझ लेना के पागल मर गया है
फरीद तिलहरी ने कहा –
अपनी किस्मत से ज़ियादा किस को मिलता है यहां
हम भी नादाँ थे तुम्हारी आरजू करते रहे
शमशाद आतिफ ने सुनाया –
मुझे बाजुओं पे यकीन है मेरे खून में भी उबाल है
मेरे दोस्त इतना समझ ले बस तेरी दोस्ती का ख्याल है
इनके अलावा इजहार शाहाबादी, नईम शाहाबादी, वहीद तिलहरी, जर्रार तिलहरी ने भी अपने कलाम पेश किये।
मुशायरे में हाजी सफदर मियाँ, वकार हातिमी, जहीर अहमद, मो. नईम, अनस अहमद, मो. यूनुस, इरशाद पप्पू आदि मौजूद रहे। अंत में संयोजक शमशाद आतिफ ने सभी का शुक्रिया अदा किया।