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सीएम योगी की नीतियों से थारू जनजाति को मिल रही नई पहचान

By Ten News One Desk

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सीएम योगी की नीतियों से थारू जनजाति को मिल रही नई पहचान



टेन न्यूज़ !! ३० नवम्बर २०२५ !! डेस्क न्यूज़,  लखनऊ।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को 2029 तक एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उनकी विकास सोच में इंफ्रास्ट्रक्चर, उद्योग, परिवहन, एमएसएमई, हस्तशिल्प और हथकरघा जैसे क्षेत्र ही नहीं, बल्कि प्रदेश के हाशिए पर रहने वाले जनजातीय समुदाय भी प्राथमिकता में शामिल हैं। इसी कड़ी में थारू जनजाति के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं।

प्रदेश के विभिन्न जनपदों—गोरखपुर, महराजगंज, बलरामपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत—में रहने वाली थारू जनजाति पारंपरिक हस्तकला, विशेषतः काष्ठशिल्प और बांस उत्पादों में दक्ष है। सरकार ने इनके कौशल को बाजार से जोड़ने के लिए लगभग 350 से अधिक समूह गठित किए हैं। उन्हें छोटे उद्योग शुरू करने के लिए 1.50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है।

लखीमपुर खीरी के पलिया ब्लॉक में ‘फॉरेस्ट एंड डेवलपमेंट रिलेटेड वैल्यू चेन कंपनी’ थारू हस्तशिल्प उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करके उन्हें राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों से जोड़ रही है। इससे समुदाय में आर्थिक आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास दोनों बढ़े हैं।

योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) ने भी जनजाति समुदाय सहित प्रदेश के करोड़ों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। 2016-17 में 80,000 करोड़ रुपये का यूपी का निर्यात बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपये पार कर गया।

एमएसएमई क्षेत्र को मिल रहे प्रोत्साहन के चलते प्रदेश में 96 लाख से अधिक इकाइयां सक्रिय हैं, जबकि 27,000 से अधिक ग्रामीण-अर्धशहरी फैक्ट्रियाँ रोजगार का नया आधार बनी हैं। सरकार द्वारा आसान ऋण सुविधा और उद्यमिता को बढ़ावा देने की नीतियों से थारू समुदाय अब सम्मान और गर्व के साथ आत्मनिर्भर भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

सीएम योगी की नीतियों से थारू जनजाति को मिल रही नई पहचान

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टेन न्यूज़ !! ३० नवम्बर २०२५ !! डेस्क न्यूज़,  लखनऊ।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को 2029 तक एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उनकी विकास सोच में इंफ्रास्ट्रक्चर, उद्योग, परिवहन, एमएसएमई, हस्तशिल्प और हथकरघा जैसे क्षेत्र ही नहीं, बल्कि प्रदेश के हाशिए पर रहने वाले जनजातीय समुदाय भी प्राथमिकता में शामिल हैं। इसी कड़ी में थारू जनजाति के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं।

प्रदेश के विभिन्न जनपदों—गोरखपुर, महराजगंज, बलरामपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत—में रहने वाली थारू जनजाति पारंपरिक हस्तकला, विशेषतः काष्ठशिल्प और बांस उत्पादों में दक्ष है। सरकार ने इनके कौशल को बाजार से जोड़ने के लिए लगभग 350 से अधिक समूह गठित किए हैं। उन्हें छोटे उद्योग शुरू करने के लिए 1.50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है।

लखीमपुर खीरी के पलिया ब्लॉक में ‘फॉरेस्ट एंड डेवलपमेंट रिलेटेड वैल्यू चेन कंपनी’ थारू हस्तशिल्प उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करके उन्हें राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों से जोड़ रही है। इससे समुदाय में आर्थिक आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास दोनों बढ़े हैं।

योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) ने भी जनजाति समुदाय सहित प्रदेश के करोड़ों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। 2016-17 में 80,000 करोड़ रुपये का यूपी का निर्यात बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपये पार कर गया।

एमएसएमई क्षेत्र को मिल रहे प्रोत्साहन के चलते प्रदेश में 96 लाख से अधिक इकाइयां सक्रिय हैं, जबकि 27,000 से अधिक ग्रामीण-अर्धशहरी फैक्ट्रियाँ रोजगार का नया आधार बनी हैं। सरकार द्वारा आसान ऋण सुविधा और उद्यमिता को बढ़ावा देने की नीतियों से थारू समुदाय अब सम्मान और गर्व के साथ आत्मनिर्भर भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

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