भक्त प्रहलाद कथा प्रसंग को सुनकर श्रोता हुए भाव विभोर
टेन न्यूज़ !! २४ मार्च २०२५ !! प्रभाष चन्द्र ब्यूरो, कन्नौज
कन्नौज।जनपद कन्नौज के टिडियापुर ग्राम पंचायत के भुगैतापुर गांव स्थित कृष्ण कुटी मे आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में त्रिमुखा निवासी व्यास आचार्य सुनील कुमार त्रिपाठी द्वारा सहिल्लापुर निवासी परीक्षित रमेश बाथम सहित भक्तों को भक्त पहलाद की कथा सुनाई गई जिसे सुनकर श्रोता भक्त भाव विभोर हो गए।
कृष्ण कुटी भूगैतापुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में व्यास आचार्य सुनील कुमार त्रिपाठी द्वारा पंडाल में आए हुए भक्तों को ईश भक्त बालको की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि ईश्वर की भक्ति करने का कोई समय उम्र और सीमा नहीं होती है
हमारे देश में ऐसे बालक हुए हैं जिन्होंने अपनी ईश भक्ति से इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम लिखवाया और कलयुग में लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए ऐसे ही भक्त ध्रुव के प्रसंग के बारे में बताए हुए कहा कि मनु और सतरूपा के पुत्र राजा उत्तानपाद के दो रानियां थी सुरुचि और सुनीति सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम और सुनीत के पुत्र का नाम ध्रुव था एक दिन खेलते हुए ध्रुव जब अपने पिता उत्तानपाद के पास पहुंच गए तो उन्होंने उन्हें उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया
इस समय उनकी सौतेली मां सुरुचि वहां आ गई और ध्रुव को उत्तानपाद की गोद से उतरते हुए कठोर वचनों से कहा जिस दिन इस योग बन जाओगे कि तुम राजा की गोद में बैठ सको उसे दिन आकर गोद में बैठना उन वचनों को सुनकर 5 वर्षीय बालक जब अपनी मां सुनीति के पास गया और उसने पूछा की मां पिता की गोद से भी ऊंची जगह क्या होती है तो उन्होंने कहा कि इससे ऊंची जगह ईश्वर की गोद होती है
यह बात उस अबोध बालक के मन में बैठ गई और वह अपनी मां को सोता हुआ छोड़कर जंगल में तपस्या करता है भगवान उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद देकर राजा की भी गोद से ऊंचा स्थान देते हैं और आज वही बह बालक उत्तर दिशा में ध्रुव तारे के रूप में बालको और मनुष्यों के लिए प्रेरणा स्रोत है ऐसे हमारे देश में ईश्वर की भक्ति करने वाले बालक भी पैदा हुए।
प्रसंग के बाद व्यास द्वारा आए हुए जनमानस के लिए कथा के माध्यम से संदेश दिया गया कि हमें भी अपने बच्चों की परवरिश ऐसे महान आत्माओं की कहानी सुना कर उनके अंदर ऐसे गुणों का विकास करना चाहिए जिससे वह समाज में अपना ध्रुव की तरह स्थान बना सकें इसी क्रम में व्यास द्वारा हिरण्यकश्यप पुत्र प्रहलाद की कथा का प्रसंग सुनते हुए कहा गया कि अपनी छोटी सी उम्र में ईश्वर की भक्ति के चलते हिरण कश्यप के विभिन्न अत्याचारों को सहते हुए ईश्वर को प्राप्त करने वाले वक्त पहले जैसे बालक भी हमारे देश में हुए हैं
जिन्होंने अपनी भक्ति से ईश्वर को प्रसन्न किया ईश्वर को प्राप्त करने का माध्यम श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना है अतः सभी सनातन धर्मविलंबियों को श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कर उसके बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा पंडाल में सैकड़ो की संख्या में भक्त मौजूद रहे।