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दुष्कर्म जैसे जाघन्य अपराध पर अंकुश लगाने में हमें जमीनी स्तर पर काम करने की जरुरत है!

By Ten News One Desk

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दुष्कर्म जैसे जाघन्य अपराध पर अंकुश लगाने में हमें जमीनी स्तर पर काम करने की जरुरत है!



टेन न्यूज।। 31 अगस्त 2024।। रिपोर्ट- (crs इमरान साग़र की क़लम से)


उ०प्र०-समाज और लगभग सभी धर्मो में सबसे बड़ा (गुनाह) पाप, अपराध बगैराह बगैराह कई घिनौने नामो से जाना जाने वाला “बलात्कार” में कमी लाने और उस पर अंकुश लगाने के अथक प्रयास में सदियों से बनाए जाते रहे कानूनो में आज तक तमाम सख्तियों में इजाफा ही होता रहा है लेकिन जैसे जैसे हम टैक्नोलॉजी में विकसित हो रहे हैं बैसे बैसे हमें हर रोज घट रही बलात्कार की घटनाओं पर सुनने और पढ़ने को मिलने वाली चर्चा भय की स्थिति उत्पन्न करने से नही चूकती!

बलात्कार जैसा महापाप, जाघन्य घटना, घटने पर कहीं आन्दोलन, धरना प्रदर्शन में आरोपी के लिए फांसी की सजा तक की मांग को लेकर कई तरह की हंगामो के बीच राजनीति रोटियाँ जम कर सिकती नज़र आने लगती हैं और कहीं इस अपराध पर पीड़िता की रिपोर्ट लिखना तो दूर, उसका दर्द सुनने के लिए समाज को फुर्सत नही! भले ही आज नारी समाज काफी जागरुक हो गया हो परन्तु ऐसे बहुत से मामले में आज भी, कभी अपनी तो कभी परिवार की इज्जत की दुुहाई में पीड़िता घुट घुट कर खून के आँसू रोने पर मजबूर है!

इस जाघन्य अपराध के घटने पर आखिर हमारी चूक कहाँ है जो तमाम सख्तियों और जागरुकता के बाद भी यह आखिर कहीं न कहीं प्रतिदिन घट ही रहा है, यह जानने और समझने की जरुरत बहुत पहले से है परन्तु, पाश्चात्य सभ्यता की ग़ुलामी की ओर बढ़ रहे हम, इसे समझने का प्रयास ही नही करते! हम भारतीय अपनी परम्परा और पारम्परिक परिधानो के लिए दुनियाँ में अपनी एक अलग पहचान रखते आ रहे हैं लेकिन लगभग डेढ़ दशक पूर्व से हमारे अन्दर पश्चिमी सभ्यता का पारिधानिक, बढ़ता शौक भी इस अपराध के लिए कम जिम्मेदार नही माना जा सकता!

शहरो से लेकर ग्रामीण अचलो तक नारी सशक्तिकरण अभियान के अन्तर्गत जागरुकता बढ़ने के बाद भी बलात्कार की घटनाओं में रत्तीभर कमी नज़र नही आई हाँ समाज में मान सम्मान के डर तथा पुलिस थानो में अपराध कम करने की गरज से रिपोर्ट ही दर्ज न हो और अपराध पर अंकुश दिखाया जाए वो अलग बात है!

माना जाता है कि जाहरुकता के चलते अब इस तरह के अपराध को छिपाया नही जा सकता और पता लगने के बाद न ही इस पर चुप्पी सांधी जा सकती है लेकिन जमीनी हकीकत अक्सर कुछ भी बैंया करती है! बलात्कार जैसे गंभीर अपराध के लिए सजा का प्राविधान भी सख्त है लेकिन सत्य तक पहुंचने के लिए जहाँ उसे साबित करने की जटिल प्रक्रिया तो वहीं कई प्रतिशत तक फर्जी मामलो में मुकदमा दर्ज करा कर कानून का मखौल उड़ाने वालो की भी कमी नही देखने को मिलती!

बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर अंकुश लगाने तथा साबित होने पर सख्त सजा का प्राविधान बनाए जाने के साथ ही इस की गहनता से तत्काल जांच के लिए अलग से एक टास्क फोर्स का गठन होना जरुरी है जिसमें समाज के ईमानदार व वुद्धजीवि व्यक्तित्व को शामिल करने की जरुरत है! जितनी जल्दी का मतलब यह कि बहुत बहुत 15 दिन में अपराध किए जाने का प्रमाण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने की जरुरत है जिससे पीड़िता को समय से न्याय मिल सके तो वहीं इस कृत्य को करने की सोच भी मस्तिष्क के आस पास न भटक सके! इसी के साथ पाशचात्य सभ्यता को दरकिनार कर हमे पूरी तरह भारतीय सांस्कृति पारिधानो का जीवन के साथ मिलाप करने की जरुरत है! कानूनो की पेचदगी भले ही अब कम रह गई हो लेकिन फिर भी हमें इस बलात्कार जैसे जाघन्य अपराधिक मामले में जमीनी स्तर पर विचार करके तत्काल काम करने की जरुरत है!
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दुष्कर्म जैसे जाघन्य अपराध पर अंकुश लगाने में हमें जमीनी स्तर पर काम करने की जरुरत है!

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दुष्कर्म जैसे जाघन्य अपराध पर अंकुश लगाने में हमें जमीनी स्तर पर काम करने की जरुरत है!



टेन न्यूज।। 31 अगस्त 2024।। रिपोर्ट- (crs इमरान साग़र की क़लम से)


उ०प्र०-समाज और लगभग सभी धर्मो में सबसे बड़ा (गुनाह) पाप, अपराध बगैराह बगैराह कई घिनौने नामो से जाना जाने वाला “बलात्कार” में कमी लाने और उस पर अंकुश लगाने के अथक प्रयास में सदियों से बनाए जाते रहे कानूनो में आज तक तमाम सख्तियों में इजाफा ही होता रहा है लेकिन जैसे जैसे हम टैक्नोलॉजी में विकसित हो रहे हैं बैसे बैसे हमें हर रोज घट रही बलात्कार की घटनाओं पर सुनने और पढ़ने को मिलने वाली चर्चा भय की स्थिति उत्पन्न करने से नही चूकती!

बलात्कार जैसा महापाप, जाघन्य घटना, घटने पर कहीं आन्दोलन, धरना प्रदर्शन में आरोपी के लिए फांसी की सजा तक की मांग को लेकर कई तरह की हंगामो के बीच राजनीति रोटियाँ जम कर सिकती नज़र आने लगती हैं और कहीं इस अपराध पर पीड़िता की रिपोर्ट लिखना तो दूर, उसका दर्द सुनने के लिए समाज को फुर्सत नही! भले ही आज नारी समाज काफी जागरुक हो गया हो परन्तु ऐसे बहुत से मामले में आज भी, कभी अपनी तो कभी परिवार की इज्जत की दुुहाई में पीड़िता घुट घुट कर खून के आँसू रोने पर मजबूर है!

इस जाघन्य अपराध के घटने पर आखिर हमारी चूक कहाँ है जो तमाम सख्तियों और जागरुकता के बाद भी यह आखिर कहीं न कहीं प्रतिदिन घट ही रहा है, यह जानने और समझने की जरुरत बहुत पहले से है परन्तु, पाश्चात्य सभ्यता की ग़ुलामी की ओर बढ़ रहे हम, इसे समझने का प्रयास ही नही करते! हम भारतीय अपनी परम्परा और पारम्परिक परिधानो के लिए दुनियाँ में अपनी एक अलग पहचान रखते आ रहे हैं लेकिन लगभग डेढ़ दशक पूर्व से हमारे अन्दर पश्चिमी सभ्यता का पारिधानिक, बढ़ता शौक भी इस अपराध के लिए कम जिम्मेदार नही माना जा सकता!

शहरो से लेकर ग्रामीण अचलो तक नारी सशक्तिकरण अभियान के अन्तर्गत जागरुकता बढ़ने के बाद भी बलात्कार की घटनाओं में रत्तीभर कमी नज़र नही आई हाँ समाज में मान सम्मान के डर तथा पुलिस थानो में अपराध कम करने की गरज से रिपोर्ट ही दर्ज न हो और अपराध पर अंकुश दिखाया जाए वो अलग बात है!

माना जाता है कि जाहरुकता के चलते अब इस तरह के अपराध को छिपाया नही जा सकता और पता लगने के बाद न ही इस पर चुप्पी सांधी जा सकती है लेकिन जमीनी हकीकत अक्सर कुछ भी बैंया करती है! बलात्कार जैसे गंभीर अपराध के लिए सजा का प्राविधान भी सख्त है लेकिन सत्य तक पहुंचने के लिए जहाँ उसे साबित करने की जटिल प्रक्रिया तो वहीं कई प्रतिशत तक फर्जी मामलो में मुकदमा दर्ज करा कर कानून का मखौल उड़ाने वालो की भी कमी नही देखने को मिलती!

बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर अंकुश लगाने तथा साबित होने पर सख्त सजा का प्राविधान बनाए जाने के साथ ही इस की गहनता से तत्काल जांच के लिए अलग से एक टास्क फोर्स का गठन होना जरुरी है जिसमें समाज के ईमानदार व वुद्धजीवि व्यक्तित्व को शामिल करने की जरुरत है! जितनी जल्दी का मतलब यह कि बहुत बहुत 15 दिन में अपराध किए जाने का प्रमाण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने की जरुरत है जिससे पीड़िता को समय से न्याय मिल सके तो वहीं इस कृत्य को करने की सोच भी मस्तिष्क के आस पास न भटक सके! इसी के साथ पाशचात्य सभ्यता को दरकिनार कर हमे पूरी तरह भारतीय सांस्कृति पारिधानो का जीवन के साथ मिलाप करने की जरुरत है! कानूनो की पेचदगी भले ही अब कम रह गई हो लेकिन फिर भी हमें इस बलात्कार जैसे जाघन्य अपराधिक मामले में जमीनी स्तर पर विचार करके तत्काल काम करने की जरुरत है!
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