यज्ञ से वर्षा और वर्षा से होती है अन्न की उपज : जितेंद्र
टेन न्यूज़ !! ०६ मई २०२४ !! अमुक सक्सेना, तिलहर/शाहजहांपुर
तिलहर। आर्य समाज में वैदिक विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए जितेंद्र आर्य ने कहा कि यज्ञ से वर्षा और वर्षा से अन्न की उत्पत्ति होती है अन्न सभी प्राणियों के जीवन का आधार है इसलिए हम सभी को यज्ञ अवश्य करना चाहिए।
आर्य समाज में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए जितेंद्र आर्य ने कहा कि वेदों में यज्ञ को देवताओं का मुख कहा गया है। यज्ञ में डाला गया पदार्थ अणुओं और परमाणुओं में विभाजित होकर संपूर्ण चर अचर जगत को प्राप्त हो जाता है।
यज्ञ पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने में सहायक है। कहा कि हमारे सभी महापुरुष भगवान राम, कृष्ण ऋषि और महर्षि सभी प्रतिदिन यज्ञ किया करते थे। यज्ञ करने से वातावरण प्रतिकूल नहीं होता था और समय पर वर्षा होती थी। आज इस परंपरा को पुनस्थापित करने की आवश्यकता है।
पंडित गिरीश शर्मा वैदिक ने कहा कि घर-घर यज्ञ होने चाहिए। आर्य समाज इस दिशा में लगातार प्रयासरत है। इस अवसर पर श्री शर्मा ने ईश्वर भक्ति का भजन सुना कर सभी को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ के साथ हुआ।