जिला टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उपायुक्त जीएसटी को ज्ञापन सौंपा
टेन न्यूज़ !! ११ फरवरी २०२५ !! प्रभाष चन्द्र ब्यूरो, कन्नौज
प्रमुख सचिव राज्य कर के केंद्र सरकार के जीएसटी से संबंधित मामले हर हाल में 10 फरवरी तक हर हाल में निस्तारित किये जाने के आदेश व विभाग में चल रही अनियमितताओं के खिलाफ टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं में नाराजगी है।
इस मामले को लेकर जिला टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उपायुक्त जीएसटी को ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ताओं का कहना था कि राज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव की कार्यप्रणाली व प्रशासनिक एवं न्यायिक प्रक्रिया में अनाधिकृत हस्तक्षेप उनकी स्वतंत्रता और निष्पक्षता को खतरे में डाल रही है।
जिला टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने बैठक कर राज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज पर तानाशाही रवैया अपनाने और करदाता को स्वच्छ एवं स्वतंत्र न्याय प्रदान करने में बाधक बनने का आरोप लगाया।
अधिवक्ता जयेश राठौर ने बताया कि एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1 राज्य कर की ओर से प्रमुख सचिव राज्य कर के मौखिक आदेश का हवाला देते हुये एक पत्र जारी किया गया है जिसमें संगत वर्ष 2020-21 के जीएसटी अधिनियम की धारा 73 के आदेशों की अंतिम तिथि 28 फरवरी के स्थान पर 10 फरवरी तक निस्तारित किये जाने का आदेश जारी किया है। इसमें साप्ताहिक अवकाश व सार्वजनिक अवकाश भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह अधिकार प्रमुख सचिव के क्षेत्राधिकार से बाहर है। जीएसटी के अधिनियम के तहत प्रशासनिक अधिकारी हस्तक्षेप करके कानून में संशोधन किये जाने के लिये अधिकृत नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि इस दवाब एवं जल्दबाजी के कारण करदाताओं के नैसर्गिक न्याय के अंतर्गत सुनवायी का समुचित अवसर दिये बिना पत्रावली पर उपलब्ध तथ्यों एवं साक्ष्यों का संज्ञान लिये बिना ही जीएसटी धारा 73 के वाद निस्तारित कर दिये जायेंगे।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग में कार्यपालिका द्वारा न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं न्यायिक अनुशासन में किये जा रहे अनाधिकृत हस्तक्षेप एवं अतिक्रमण से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है जो प्रशासनिक एवं न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता के मूल सिद्धांतों का खुला उल्लंघन है। इस दौरान बालकिशन, मनोज चतुर्वेदी, गोपाल गुप्ता, जितेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे। बाद में टैक्स बार अधिवक्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डिप्टी कमिश्नर(राज्य कर) नाजिम अली को सौंपा।
जिला टैक्स बार के अधिवक्ताओं का कहना था कि जीएसटी को लेकर व्यापारियों की भी सुनी जाये। उनकी मांग है कि जीएसटी अधिनियम के तहत निर्धारित वैधानिक समय सीमा का पालन किया जाये। जिन व्यापारियों ने उत्तर दाखिल कर दिये हैं उनका निस्तारण धारा 75(4) के तहत तथा जिन व्यापारियों ने स्थगन प्रार्थना पत्र दाखिल कर रखे हैं उन्हें धारा 75(5) में व्यक्तिगत सुनवायी का मुचित अवसर प्रदान करते हुये किया जाये। साथ ही किसी भी व्यापारी के संवैधानिक अधिकारों का हनन न किया जाये।
टैक्स बार के अधिवक्ताओं का कहना है कि प्रदेश में महाकुंभ के सफल आयोजन के कारण राजस्व में बढ़ोत्तरी के स्थान पर कमी होने की स्थिति गंभीर है। इस पर गहरायी से विचार करने की जरूरत है। ऐसा लगता है कि यह या तो एक बड़े पैमाने पर राजनितिक षड़यंत्र है या फिर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की घोर अक्षमता या व्यक्तिगत अहंकार का परिणाम है।