शाहजहांपुर में बीईओ व एआरपी पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते एंटी करप्शन टीम ने रंगेहाथ पकड़ा, मामले को दबाने के लिए मांगी थी घूस
टेन न्यूज़ ii 23 दिसम्बर 2025 ii पप्पू अंसारी @
शाहजहांपुर/मीरानपुर कटरा। जनपद में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए बरेली की एंटी करप्शन टीम ने कलान विकासखंड के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) सतीश कुमार मिश्रा एवं एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) सुशील सिंह को पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। दोनों पर एक सहायक अध्यापक से स्कूल में अनुपस्थिति के मामले को निस्तारित कराने के नाम पर घूस मांगने का आरोप है।
जानकारी के अनुसार मथुरा जनपद के थाना राया अंतर्गत मोहल्ला पठानपाड़ा निवासी डब्ल्यू कुमार, कलान विकासखंड के एक प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हैं।
कुछ दिन पूर्व बीईओ द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान शिक्षक स्कूल से अनुपस्थित पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें नोटिस जारी किया गया था। आरोप है कि इसी नोटिस को समाप्त करने और कार्रवाई से राहत दिलाने के लिए बीईओ एवं एआरपी ने शिक्षक से पांच हजार रुपये की मांग की।
इससे परेशान होकर सहायक अध्यापक डब्ल्यू कुमार ने मामले की शिकायत भ्रष्टाचार निवारण संगठन (एंटी करप्शन) बरेली से की। शिकायत की जांच के बाद योजना बनाकर सोमवार को कार्रवाई की गई।
टीम प्रभारी जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में एंटी करप्शन टीम कलान पहुंची और तय योजना के अनुसार दोपहर लगभग 2:13 बजे जैसे ही शिक्षक ने रिश्वत की रकम दी, टीम ने मौके पर ही बीईओ सतीश कुमार मिश्रा और एआरपी सुशील सिंह को दबोच लिया।
बताया गया कि रुपये देने से पहले एआरपी सुशील सिंह ने शिक्षक को फोन कर बुलाया और कहा कि “डिप्टी साहब आ गए हैं, रुपये लेकर आ जाइए।”
शिक्षक रुपये लेकर मिठाई की दुकान के सामने खड़ी गाड़ी में बैठे बीईओ को पैसे दे रहा था, तभी पीछे से पहुंची एंटी करप्शन टीम ने दोनों आरोपियों को पकड़ लिया। इसके बाद उन्हें वाहन में बैठाकर मीरानपुर कटरा थाना ले जाया गया, जहां लंबी पूछताछ के बाद विधिक कार्रवाई की गई।
एंटी करप्शन टीम ने आरोपियों के विरुद्ध मीरानपुर कटरा थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई है। वादी शिक्षक का आरोप है कि एआरपी के माध्यम से बीईओ नियमित रूप से शिक्षकों से अवैध वसूली कराते थे। मामले के उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।
सूत्रों के अनुसार दोनों आरोपियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी प्रस्तावित की जा सकती है। यह कार्रवाई न केवल शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है, बल्कि ईमानदार कर्मचारियों के लिए एक उदाहरण भी है कि वे दबाव में आए बिना भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठा सकते हैं।






