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जानिए क्यों मनाया जाता है दीवाली का पर्व, आज होगा लक्ष्मी-गणेश पूजन, कितने वक्त का है शुभ मुहूर्त

By Ten News One Desk

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जानिए क्यों मनाया जाता है दीवाली का पर्व, आज होगा लक्ष्मी-गणेश पूजन, कितने वक्त का है शुभ मुहूर्त



टेन न्यूज़ !! २० अक्टूबर २०२५ !!  डेस्क रिपोर्ट, लखनऊ


लखनऊ। रोशनी का पर्व दिवाली इस बार 20 अक्टूबर, सोमवार को पूरे देश में हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक रहेगी। इसी कारण मुख्य लक्ष्मी-गणेश पूजन सोमवार की रात को किया जाएगा।

पंडितों के अनुसार प्रादोष काल में पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 7:08 से 8:18 बजे तक रहेगा। इसी समय लक्ष्मी-गणेश की आराधना करने से धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। नई दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी सहित उत्तर प्रदेश के अधिकतर शहरों में यही समय शुभ माना गया है।

पूजा विधि और परंपरा

दिवाली के दिन लोग सुबह से ही घर-द्वार की सफाई, रंगाई-पुताई और सजावट में जुट जाते हैं। संध्या के समय नया वस्त्र धारण कर पूजास्थल पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं। पूजा के लिए कलश में जल, सुपारी, चावल, फूल, हल्दी-कुंकु और सिक्के रखे जाते हैं। दीपक जलाकर “श्री गणेशाय नमः” व “श्री महालक्ष्म्यै नमः” का उच्चारण किया जाता है। पूजा के बाद घर के प्रत्येक कोने में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं।

व्यापारियों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस रात वे खाता-पूजन और नए वर्ष के लेखाजोखा की शुरुआत करते हैं। बाजारों में रौनक चरम पर होती है। मिठाई, कपड़ों और उपहारों की दुकानों पर सुबह से ही खरीदारों की भीड़ लगी रहती है।

शहर में विशेष तैयारी

लखनऊ प्रशासन ने त्यौहार को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए विशेष इंतज़ाम किए हैं। पुलिस बल बाजार, मंदिरों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में तैनात रहेगा। अग्निशमन विभाग ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। पर्यावरण विभाग ने अपील की है कि लोग कम ध्वनि और कम धुएँ वाले पटाखों का प्रयोग करें तथा दीपावली को “हरित पर्व” के रूप में मनाएँ।

धार्मिक महत्व

मान्यता के अनुसार, दिवाली के दिन भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे थे, जब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में और सिख धर्म में बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्रकाश का यह पर्व न केवल घरों को, बल्कि मन और समाज को भी उजाला देने का संदेश देता है। इस दिवाली पर हर घर दीपों से जगमगाए, परंतु साथ ही पर्यावरण और सुरक्षा का ध्यान रखा जाए — यही सच्ची दिवाली की भावना है।

शुभ मुहूर्त:
🪔 लक्ष्मी-गणेश पूजन – शाम 7:08 से 8:18 बजे तक
🪔 प्रादोष काल – शाम 5:46 से 8:18 बजे तक
🪔 अमावस्या तिथि – 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक

— प्रकाश के साथ सजगता भी जरूरी है, तभी दिवाली बनेगी सच्चे अर्थों में शुभ।

जानिए क्यों मनाया जाता है दीवाली का पर्व, आज होगा लक्ष्मी-गणेश पूजन, कितने वक्त का है शुभ मुहूर्त

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लखनऊ। रोशनी का पर्व दिवाली इस बार 20 अक्टूबर, सोमवार को पूरे देश में हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक रहेगी। इसी कारण मुख्य लक्ष्मी-गणेश पूजन सोमवार की रात को किया जाएगा।

पंडितों के अनुसार प्रादोष काल में पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 7:08 से 8:18 बजे तक रहेगा। इसी समय लक्ष्मी-गणेश की आराधना करने से धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। नई दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी सहित उत्तर प्रदेश के अधिकतर शहरों में यही समय शुभ माना गया है।

पूजा विधि और परंपरा

दिवाली के दिन लोग सुबह से ही घर-द्वार की सफाई, रंगाई-पुताई और सजावट में जुट जाते हैं। संध्या के समय नया वस्त्र धारण कर पूजास्थल पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं। पूजा के लिए कलश में जल, सुपारी, चावल, फूल, हल्दी-कुंकु और सिक्के रखे जाते हैं। दीपक जलाकर “श्री गणेशाय नमः” व “श्री महालक्ष्म्यै नमः” का उच्चारण किया जाता है। पूजा के बाद घर के प्रत्येक कोने में दीप प्रज्वलित किए जाते हैं।

व्यापारियों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस रात वे खाता-पूजन और नए वर्ष के लेखाजोखा की शुरुआत करते हैं। बाजारों में रौनक चरम पर होती है। मिठाई, कपड़ों और उपहारों की दुकानों पर सुबह से ही खरीदारों की भीड़ लगी रहती है।

शहर में विशेष तैयारी

लखनऊ प्रशासन ने त्यौहार को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए विशेष इंतज़ाम किए हैं। पुलिस बल बाजार, मंदिरों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में तैनात रहेगा। अग्निशमन विभाग ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। पर्यावरण विभाग ने अपील की है कि लोग कम ध्वनि और कम धुएँ वाले पटाखों का प्रयोग करें तथा दीपावली को “हरित पर्व” के रूप में मनाएँ।

धार्मिक महत्व

मान्यता के अनुसार, दिवाली के दिन भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे थे, जब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में और सिख धर्म में बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्रकाश का यह पर्व न केवल घरों को, बल्कि मन और समाज को भी उजाला देने का संदेश देता है। इस दिवाली पर हर घर दीपों से जगमगाए, परंतु साथ ही पर्यावरण और सुरक्षा का ध्यान रखा जाए — यही सच्ची दिवाली की भावना है।

शुभ मुहूर्त:
🪔 लक्ष्मी-गणेश पूजन – शाम 7:08 से 8:18 बजे तक
🪔 प्रादोष काल – शाम 5:46 से 8:18 बजे तक
🪔 अमावस्या तिथि – 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक

— प्रकाश के साथ सजगता भी जरूरी है, तभी दिवाली बनेगी सच्चे अर्थों में शुभ।

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