सभी कर्मचारियों का वेतन 25 अक्टूबर तक तो रसोईया कर्मियों का 5 माह का बकाया कब तक : सरस्वती
टेन न्यूज़ !! २४ अक्तूबर २०२४ !! वसीम खान ब्यूरो,रायबरेली
प्रदेश मिड डे मील वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर आज बड़ी संख्या में परिषदीय विद्यालयों में नियोजित रसोईया कर्मियों ने विकास भवन में धरना दिया और बाद में जुलूस निकालकर जिलाधिकारी कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष सरस्वती ने कहा कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि सभी कर्मचारियों का वेतन 25 अक्टूबर तक हो जाय किंतु हम रसोईया कर्मियों को कोई बताने वाला नहीं है कि हमारा 5 माह का बकाया मानदेय कब भुगतान किया जाएगा ? सरस्वती ने कहा कि पिछले माह 28 सितंबर को एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक अखबार से बातचीत में कहा था कि एक सप्ताह में भुगतान हो जाएगा
किंतु पिछले अप्रैल से लेकर अब तक मात्र 1.5 माह का भुगतान हुआ है। कितना क्रूर मजाक है कि 2000/ मासिक मानदेय का भी समय से भुगतान करने मे पसीने छूटते हैं । आज भी 5.5 माह का मानदेय बकाया है। किंतु भाषणों और कागजों में प्रदेश समृद्धि की आसमान से ऊंची उड़ान भर रहा है।
जिला सचिव विद्या देवी ने कहा कि माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय भी सरकार की इस मामले मे मजम्मत कर न्यूनतम वेतन दिये जाने का आदेश कर चुका है माननीय इलाहबाद हाई कोर्ट के 15.12.2020 के निर्णय को 4 माह के अंदर अर्थात 15 अप्रैल, 2020 तक सभी रसोइयों को फैसले को लागू करते हुए न्यूनतम वेतन और 2005 से एरियर का भुगतान करने तथा मिड डे मील वर्कर्स को मिनिमम वेजेज एक्ट के आधार पर न्यूनतम वेतन देने का आदेश पारित किया किंतु सरकार कानो मे रुई लगाकर बहरी बनने का नाटक कर रही है ।
किसी भी रसोईया वर्कर को आईएसआई, ईपीएफ, ग्रेड्यूटी, पेंशन देने की 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी अध्यक्षता में हुए 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन में सिफारिश की गई थी किंतु मोदी सरकार पिछले दस वर्ष से उन सिफारिशों को लागू करने के बजाय स्कूलों को बंद करने इस योजना का ठेकाकरण करने में जुटी हुई है।
भाकपा (माले) जिला सचिव उदय भान पटेल ने कहा कि आजादी के बाद सरकारों ने गांव गांव विद्यालय स्थापित किए। सरकार शिक्षक भर्ती नहीं कर रही है, शिक्षा मित्रो के सहारे स्कूल हैं कुप्रबंधन, स्तरहीन शैक्षणिक व्यवस्था के कारण बच्चे मजबूरी में निजी विद्यालयों का रुख कर रहे हैं,और सरकार कम बच्चों का बहाना बनाकर उन विद्यालयों को भैंस के तबेले में तब्दील कर रही है। सरकार को स्कूलों की बंदी के बजाय पर्याप्त शिक्षकों की भर्ती करने के साथ विद्यालयों की शिक्षा के स्तर को उन्नत करने का काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यालयों के शिक्षकों की तरह रसोईया कर्मियों का भी समायोजन किया जाना चाहिए।
बाद में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन देकर रसोईया वर्कर्स के बकाया 5.5 माह के मानदेय के दीपावली से पूर्व भुगतान किए जाने , सेवा पंजिका बनाए जाने , 45 वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करने और माननीय उच्च न्यायालय के 2019 के न्यूनतम वेतन दिए जाने आदि मांगों को पूरा करने की मांग की गई। प्रदर्शन में सैकड़ों रसोईया कर्मियों ने हिस्सा लिया।