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ग्रेटर नोएडा में दनकौर ब्लॉक का परिषदीय स्कूल छात्रों को डर के साए में पढ़ने को मजबूर

By tennewsone.com

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ग्रेटर नोएडा में दनकौर ब्लॉक का परिषदीय स्कूल छात्रों को डर के साए में पढ़ने को मजबूर



टेन न्यूज़ !! २२ मार्च २०२५ !! गीता बाजपेई ब्यूरो, नोएडा


आए दिन यूपी में ऐसा कहा जाता है कि हर स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था उचित ढंग से हो रही है,बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अन्य सुविधाओं को भी भरपूर मात्रा में प्रदान कीया जा रहा हैं लेकिन ऐसा नहीं है। जिले में प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने दावा किया था कि यूपी के परिषदीय स्कूल देश में मॉडल बन रहे हैं, लेकिन दनकौर ब्लॉक का परिषदीय स्कूल बल्लूखेड़ा तो कुछ और ही बयां कर रहा है। स्कूल की चहारदीवारी नहीं है। इससे छात्रों की असुरक्षा का भय रहता है।

शौचालय के लिए लड़कियों को घर जाना पड़ता है। इस स्कूल में करीब 74 छात्र नामांकित हैं, जिनमें से 42 छात्राएं हैं। उन्हें यूरिनल खुले में करना पड़ता है। स्कूल में शौच की कोई व्यवस्था नहीं है। गांव के लोगों ने बताया कि कई बार स्कूल की शिक्षिकाओं ने बेसिक शिक्षा विभाग को इससे अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोगों ने बताया कि 2020 से स्कूल के हालात खराब हैं। एक तरफ करोड़ों रुपये खर्च करके स्कूलों को बनाया जा रहा है तो दूसरी ओर कुछ विद्यालयों में बेसिक सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं।

लोगों ने बताया कि 2020 से स्कूल के हालात खराब है। एक तरफ करोड़ों रुपये खर्च करके स्कूलों को बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ छात्रों को बेसिक सुविधाएं दिलाने में भी विभाग फेल साबित हो रहा है। स्कूल में कक्षा एक से पांच तक की कक्षाएं चलती हैं। दो कमरों में ही छात्रों को बैठकर पढ़ना पड़ता है। एक कक्षा में दो कक्षाएं चलने से छात्रों की पढ़ाई भी बाधित होती है। इसके साथ ही एक कक्षा के छात्रों को बरामदे में पढ़ाना शिक्षकों के सामने मजबूरी है। लोगों ने बताया कि शौच जाने के दौरान छात्राओं को काफी दिक्कत होती है।

स्कूल में व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। लोगों ने बताया कि सड़क बनाने के नाम पर स्कूल की जमीन ली गई थी। इसके एवज में अलग से जमीन देने का वादा भी किया गया था,लेकिन कुछ नहीं किया गया। इसके साथ ही स्कूल में बाउंड्रीबाल नहीं होने के कारण छात्राओं को लेकर शिक्षकों को डर सताता रहता है। स्कूल में 42 छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं। सुविधाएं नहीं होने के कारण कई छात्र स्कूल छोड़ दे रहे हैं।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान(डायट) से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्कूल पर विभाग के किसी भी अधिकारी की नजर नहीं पड़ रही है। जबकि डायट में हर महीने जनपद स्तर के अधिकारी पहुंचते हैं। उसके बाद भी छात्रों को परेशानी उठानी पड़ रही है। एआरपी से लेकर एसआरजी और डायट मेंटर तक निरीक्षण के लिए स्कूल जाते हैं। उनको भी शिक्षकों ने पूरी कहानी सुनाई। फिर भी कोई हल नहीं निकल पाया है।

ग्रेटर नोएडा में दनकौर ब्लॉक का परिषदीय स्कूल छात्रों को डर के साए में पढ़ने को मजबूर

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टेन न्यूज़ !! २२ मार्च २०२५ !! गीता बाजपेई ब्यूरो, नोएडा


आए दिन यूपी में ऐसा कहा जाता है कि हर स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था उचित ढंग से हो रही है,बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अन्य सुविधाओं को भी भरपूर मात्रा में प्रदान कीया जा रहा हैं लेकिन ऐसा नहीं है। जिले में प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने दावा किया था कि यूपी के परिषदीय स्कूल देश में मॉडल बन रहे हैं, लेकिन दनकौर ब्लॉक का परिषदीय स्कूल बल्लूखेड़ा तो कुछ और ही बयां कर रहा है। स्कूल की चहारदीवारी नहीं है। इससे छात्रों की असुरक्षा का भय रहता है।

शौचालय के लिए लड़कियों को घर जाना पड़ता है। इस स्कूल में करीब 74 छात्र नामांकित हैं, जिनमें से 42 छात्राएं हैं। उन्हें यूरिनल खुले में करना पड़ता है। स्कूल में शौच की कोई व्यवस्था नहीं है। गांव के लोगों ने बताया कि कई बार स्कूल की शिक्षिकाओं ने बेसिक शिक्षा विभाग को इससे अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोगों ने बताया कि 2020 से स्कूल के हालात खराब हैं। एक तरफ करोड़ों रुपये खर्च करके स्कूलों को बनाया जा रहा है तो दूसरी ओर कुछ विद्यालयों में बेसिक सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं।

लोगों ने बताया कि 2020 से स्कूल के हालात खराब है। एक तरफ करोड़ों रुपये खर्च करके स्कूलों को बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ छात्रों को बेसिक सुविधाएं दिलाने में भी विभाग फेल साबित हो रहा है। स्कूल में कक्षा एक से पांच तक की कक्षाएं चलती हैं। दो कमरों में ही छात्रों को बैठकर पढ़ना पड़ता है। एक कक्षा में दो कक्षाएं चलने से छात्रों की पढ़ाई भी बाधित होती है। इसके साथ ही एक कक्षा के छात्रों को बरामदे में पढ़ाना शिक्षकों के सामने मजबूरी है। लोगों ने बताया कि शौच जाने के दौरान छात्राओं को काफी दिक्कत होती है।

स्कूल में व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। लोगों ने बताया कि सड़क बनाने के नाम पर स्कूल की जमीन ली गई थी। इसके एवज में अलग से जमीन देने का वादा भी किया गया था,लेकिन कुछ नहीं किया गया। इसके साथ ही स्कूल में बाउंड्रीबाल नहीं होने के कारण छात्राओं को लेकर शिक्षकों को डर सताता रहता है। स्कूल में 42 छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं। सुविधाएं नहीं होने के कारण कई छात्र स्कूल छोड़ दे रहे हैं।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान(डायट) से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्कूल पर विभाग के किसी भी अधिकारी की नजर नहीं पड़ रही है। जबकि डायट में हर महीने जनपद स्तर के अधिकारी पहुंचते हैं। उसके बाद भी छात्रों को परेशानी उठानी पड़ रही है। एआरपी से लेकर एसआरजी और डायट मेंटर तक निरीक्षण के लिए स्कूल जाते हैं। उनको भी शिक्षकों ने पूरी कहानी सुनाई। फिर भी कोई हल नहीं निकल पाया है।

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